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प्रेम से भरा घर-परिवार

एस.के.कपूर ‘श्री हंस’
बरेली(उत्तरप्रदेश)
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घर-परिवार स्पर्धा विशेष……

जहाँ प्रेम का उपहार हो,वो घर-परिवार है,
जहाँ सहयोग ही आधार हो,वो घर-परिवार है।
जहाँ लोग जीते-मरते हों एक-दूजे के लिए-
जहाँ आशीर्वाद आभार हो,वो घर-परिवार है॥

जहाँ माता-पिता से सीखते हों संस्कार बच्चे,
जहाँ दादा-दादी से लाते हों प्यार बच्चे।
जहाँ सुख-दुःख के साथी हों,सब ही घर वाले-
वो ही घर-परिवार जहाँ पाते सबका दुलार बच्चे।

घर-परिवार में रहती भावना,बस समर्पण की,
एक दूजे के लिए करने को कुछ भी अर्पण की।
छल-कपट भेद-भाव से दूर घर होता स्वर्ग समान-
ऐसे परिवार को जरूरत नहीं किसी भी दर्पण की॥