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भुवनेश्वर यात्रा …….
भुवनेश्वर के मंदिर अपनी स्थापत्य कला और वास्तु वैभव के लिए दुनियाभर में जाने जाते हैं। इस पुण्यभूमि पर स्थित लिंगराज मंदिर,परशुरामेश्वर मंदिर और मुक्तेश्वर मंदिर के दर्शन के बाद हमें केदार गौरी मंदिर के दर्शन का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ।
भुवनेश्वर के ८ अष्टशंभू मंदिरों में से एक है यह मंदिर…, भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित यह मंदिर मुक्तेश्वर मंदिर के पार्श्व में स्थित है। नागर शैली में निर्मित यह मंदिर प्राचीन स्थापत्य कला का एक सुंदर उदाहरण है। यह मंदिर भी भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित मंदिरों की सूची में शामिल है।
चटख लाल और सफेद रंग में सजे इस मंदिर का अपना एक अलग ही आकर्षण है। मंदिर के अंदर गोलाकार घेरे के बीच एकसाथ कई शिवलिंग के दर्शन हुए,जो अपने प्राकृत रूप में विद्यमान हैं… यह एक अदभुत अनुभव था…l
मंदिर के पार्श्व में २ पवित्र कुंड स्थित हैं,जिन्हें `मरीचि कुंड` और `खीरा कुंड` के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि मरीचि कुंड का जल स्त्रियों के बांझपन को दूर करता है,वहीं खीरा कुंड का जल मानव मात्र को जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त करता है।
मंदिर परिसर के बाहरी भाग में बजरंग बली हनुमान का एक भव्य मंदिर है,जिसमें वे विराट रूप में विराजमान हैं। बजरंग बली को भगवान शिव का ११वां रूद्र अवतार माना जाता है।
(प्रतीक्षा कीजिए अगले भाग की…)