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‘एक नौकरानी की डायरी’ के रचयिता कृष्ण बलदेव वैद नहीं रहे

दिल्ली।

‘एक नौकरानी की डायरी’ जैसे महत्वपूर्ण उपन्यास व ‘बदचलन बीवियों का द्वीप’ जैसी कहानी लिखने वाले कृष्ण बलदेव वैद का ६ फरवरी को निधन हो गया। ९२ वर्षीय श्री वैद ने हिंदी उपन्यास लेखन में विशेष ख्याति प्राप्त की,तथा हिंदी अकादमी (दिल्‍ली) का शलाका सम्मान पाया।  कृष्ण बलदेव वैद का जन्म डिंगा(पंजाब के पाकिस्तान) में २७ जुलाई १९२७ को हुआ । पंजाब विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में एम.ए. और हार्वर्ड विश्वविद्यालय से पी-एच.डी. की उपाधि हासिल की। यह हंसराज कॉलेज दिल्ली और पंजाब विश्वविद्यालय में अंग्रेज़ी साहित्य के अध्यापक रहे। न्यूयॉर्क स्टेट यूनिवर्सिटी,अमेरिका और ब्रेंडाइज यूनिवर्सिटी में अंग्रेज़ी और अमरीकी-साहित्य का अध्यापन किया।
भारत भवन(भोपाल) में ‘निराला सृजनपीठ’ के अध्यक्ष भी रहने वाले दक्षिण दिल्ली के ‘वसंत कुंज’ निवासी श्री वैद लम्बे अरसे से अमरीका में २ विवाहित बेटियों के साथ रह रहे थे।
साहित्यिक अवदान के तौर पर उपन्यास में-उसका बचपन,बिमल उर्फ जाएँ तो जाएँ कहाँ,नसरीन तथा दूसरा न कोई हैं तो कहानी संग्रह में-चर्चित कहानियाँ,पिता की परछाइयाँ ,बदचलन बीवियों का द्वीप,खाली किताब का जादू एवं रात की सैर (दो खण्डों में) आदि हैं। आपके प्रमुख निबंध-शिकस्त की आवाज़, संचयन,संशय के साए,हिन्दी में अनुवाद और गॉडो के इन्तज़ार में (बेकिट)हैं।
श्री वैद को पुरस्कार एवं सम्मान में छत्तीसगढ़ राज्य का पंडित सुंदरलाल शर्मा सम्मान सहित हिंदी अकादमी (दिल्‍ली) का शलाका सम्मान स्मरणीय है। हिंदीभाषा डॉट कॉम परिवार आपको श्रद्धासुमन अर्पित करता है।

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