डॉ. एम.एल. गुप्ता ‘आदित्य’
मुम्बई(महाराष्ट्र)
***************************************************************
मुद्दा-भारत को भारत कहो,इण्डिया नहीं…..
इसके लिए दो ही उपाय हैं-पहला यह कि देश में इसके लिए जागरूकता अभियान के साथ-साथ इसके लिए प्रबल मांग भी हो। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि राजनीतिक दल जनता की मांग के आधार पर ही अपनी नीतियां तय करते हैं। यदि पर्याप्त जनसमर्थन नहीं होता है,तो कोई भी दल ऐसे विषय पर आगे नहीं बढ़ता। ऐसी स्थिति में जनता का दबाव और जनसमर्थन काम आ सकता है।
इस तरह के अभियान में केवल भाषा-सेवियों से बात नहीं बनेगी। इसके लिए विभिन्न धर्मों के बड़े आचार्यों और धर्मगुरुओं की भी मदद लेना मुनासिब होगा,क्योंकि उनके कहने पर उनके लाखों-करोड़ों समर्थक जुड़ जाते हैं और अभियान में जुट जाते हैं। फिर भारत की धर्म-संस्कृति से जुड़ाव के कारण इस विषय से उनका स्वभाविक जुड़ाव भी होता है। जैन गुरु आचार्य विद्यासागर जी महाराज तो पहले से ही इस अभियान में लगे हुए हैं। आचार्यश्री के शिष्यों को भी जागृत करना होगा। इस दृष्टि से आर्य समाज की भूमिका भी बहुत महत्वपूर्ण हो सकती है। सिख समुदाय, हमारे अनेक संत,योग गुरु,न केवल उत्तर भारत के बल्कि दक्षिण,पूर्व और पश्चिमी भारत के भी धर्माचार्य व हिंदू धर्म के पुरोधा पूज्य शंकराचार्य भी। अन्य धर्मों के जो भी धर्मगुरू साथ आ सकें। अन्ना हजारे जैसे समाजसेवी यदि मदद करने को तैयार होते हैं तो सहयोग लिया जा सकता हैl इस अभियान से इन्हें जोड़ने के लिए यथासंभव प्रयास सभी को करने होंगे।
विदेशों में जो भारत प्रेमी रहते हैं,उनका सहयोग भी लाभकारी होगा। उऩ्हें भी भारत के प्रधानमंत्री,राष्ट्रपति,मुख्य न्यायधीश तथा विपक्षी दलों के नेताओं को विदेशों से पत्र लिखने चाहिए।
Comments are closed.