बोधन राम निषाद ‘राज’
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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(रचना शिल्प:१६ /११)
जीवन में सुख पाना है तो,
करना आज बचाव।
अपनी रक्षा खातिर यारों,
यही युक्ति अपनाव॥
भीड़-भाड़ से दूर रहो तुम,
रहो अलग ही स्थान।
खुले में मत शौच करो तुम,
खतरे में फिर जान॥
औरों को सिखला देना तुम,
गीत ख़ुशी के गाव।
जीवन में सुख...
जब भी बाहर निकलोगे तुम,
दस्ताना हो हाथ।
नाक मुँह पर मास्क लगा हो,
फेंटा बाँधो माथ॥
सदा रहोगे स्वस्थ तभी तुम,
प्यारा जीवन पाव।
जीवन में सुख...
नहीं मिलाना हाथ कभी तुम,
करना दूर प्रणाम।
बार बार हाथों को धोना,
जीवन का आयाम॥
दुख़ की बदली दूर हटेगी,
सुख बारिश बरसाव।
जीवन में सुख...