मिट्टी का बदन Post author:hindibhashaa lekhak Post published:January 16, 2021 Post category:Uncategorized / काव्यभाषा / मुक्तक एस.के.कपूर ‘श्री हंस’बरेली(उत्तरप्रदेश)********************************* मिट्टी का बदन और साँसें बस उधार की हैं,जाने घमंड किस चीज़ का,बात विचार की है।आदमी बस इक किरायेदार,मेहमान कुछ दिन का-नहीं उसकी हैसियत यहाँ पर जमींदार की हैll Tags: sk kapoor Read more articles Previous Postसंकल्प शक्ति ही जीत Next Postहमारा अमर भारत महान You Might Also Like उसकी है सबको जरूरत March 21, 2021 खुशी May 17, 2019 इक्कीस दिन का दान करें March 31, 2020