विजय कुमार,
अम्बाला छावनी(हरियाणा)
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राघव जी शहर के प्रतिष्ठित व्यापारी थे और सामाजिक कार्यों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते रहते थे। शहर में कई सामाजिक संस्थाओं के वह पदाधिकारी भी थे। ऐसी ही एक संस्था ने ‘पेड़ लगाओ पर्यावरण बचाओ’ के अभियान के तहत पेड़ लगाने का प्रस्ताव पारित किया। राघव जी ने अपने सहयोगियों के साथ सड़क के किनारे वृक्ष लगाने के कार्य का जिम्मा संभाल लिया और काम में जी-जान से जुट गए।
उनके दोस्त श्रवण ने यूं ही सवाल किया,-राघव यार, मुझे एक बात समझ नहीं आई कि दूसरे सभी लोग कालोनियों और पार्कों में पेड़ लगाने में लगे हैं,और तुम सड़कों के किनारे पेड़ लगाने में जुटे हो,जबकि सड़कों के किनारे पेड़ लगाना तो सरकार का काम है।’
‘यार पेड़ लगाने का काम तो सभी का साझा होता है,सभी को लगाने चाहिए। इसमें सभी को लाभ मिलता है। इसमें क्या सोचना कि सरकार की तरफ से ही लगने चाहिए। सरकार और जनता अलग-अलग थोड़े ही हैं। दोनों को मिल-जुल कर कार्य करना चाहिए,तभी तो देश का भविष्य उज्जवल होगा और हमारी आने वाली पीढ़ियों का भी।’ राघव जी ने कहा,-‘वैसे एक निजी कारण भी है सड़क के किनारे-किनारे पेड़ लगाने का।“
‘वह क्या ?’ उनका दोस्त बोला।
‘एक बार मैं सैर से वापस आ रहा था,तो मैंने एक व्यक्ति को कार चलाते हुए गलत दिशा से यानी मेरे सामने से लहराता हुआ आते देखा। उसे देखते ही मैं समझ गया कि उसने खूब शराब पी रखी है।उसने कार मेरे ऊपर चढ़ा ही देनी थी यदि मैं तुरंत छलांग लगाकर एक पेड़ की ओट में न हो गया होता। कार एकदम से उस पेड़ से टकराई और रुक गई। उस दिन पेड़ की वजह से ही मेरी जान बच गई थी वरना…।”