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दुआ

निर्मल कुमार शर्मा  ‘निर्मल’
जयपुर (राजस्थान)
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इल्तिज़ा इतनी-सी मेरी है ख़ुदा,
मैं करूँ,वो ही दुआ,जो है दुआ।

माँगना ख़ुद के लिये तो,भीख है,
बेक़स का हक़ माँगूं अगर,तो है दुआ।

माँगूं तख़्तो-ताज़ गर,वो आज़ है,
ख़ैर सबकी माँगूं गर,वो है दुआ।

ना इक्तिज़ा,ज़र ओ ज़मीं मुझको मिले,
मुफ़लिस को ख़ुशहाली अता कर,है दुआ।

दैरो-हरम तो,बात मज़हब की हुई,
इंसानियत ज़िंदा रहे,यह है दुआ।

रहबर तू इक,हैं राह सब भटके हुए,
रहमो-करम सबको अता कर,है दुआ।

मायूस बुलबुल,हर तरफ़ सय्याद है,
ख़ौफ़ का मंज़र मिटे,यह है दुआ।

गुल अमन के,सूखते सब जा रहे,
हो बंद नफ़रत की हवा,ये है दुआ।

नादां वो,जो खुद को समझते हैं ख़ुदा,
बख़्श उनको भी इनायत,है दुआll
(इक दृष्टि यहाँ भी:इल्तिज़ा=प्रार्थना,बेक़स= दीन-हीन,आज़=लालच,ख़ैर=कुशल क्षेम,ज़र =धन,इक्तिज़ा=आकांक्षा,मुफ़लिस=निर्धन, दैरो-हरम=मंदिर-मस्जिद,रहबर=पथ प्रदर्शक, रहम=दया,करम=कृपा,अता=दान देना,बड़ों से छोटों को कुछ मिलना,सय्याद=बहेलिया, अमन=शांति,इनायत=कृपा)

परिचय–निर्मल कुमार शर्मा का वर्तमान निवास जयपुर (राजस्थान)और स्थाई बीकानेर (राजस्थान) में है। साहित्यिक उपनाम से चर्चित ‘निर्मल’ का जन्म १२ सितम्बर १९६४ एवं जन्म स्थान बीकानेर(राजस्थान) है। आपने स्नातक तक की शिक्षा (सिविल अभियांत्रिकी) प्राप्त की है। कार्य क्षेत्र-उत्तर पश्चिम रेलवे(उप मुख्य अभियंता) है।सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आपकी साहित्यिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भागीदारी है। हिंदी, अंग्रेजी,राजस्थानी और उर्दू (लिपि नहीं)भाषा ज्ञान रखने वाले निर्मल शर्मा के नाम प्रकाशन में जान्ह्वी(हिंदी काव्य संग्रह) और निरमल वाणी (राजस्थानी काव्य संग्रह)है। प्राप्त सम्मान में रेल मंत्रालय द्वारा मैथिली शरण गुप्त पुरस्कार प्रमुख है। आप ब्लॉग पर भी लिखते हैं। विशेष उपलब्धि में  स्काउटिंग में राष्ट्रपति से पुरस्कार प्राप्त ‘विजय रत्न’ पुरस्कार,रेलवे का सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त, दूरदर्शन पर सीधे प्रसारण में सृजन के संबंध में साक्षात्कार,स्व रचित-संगीतबद्ध व स्वयं के गाये भजनों का संस्कार व सत्संग चैनल से प्रसारण है। स्थानीय पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन होता रहता है। लेखनी का उद्देश्य- साहित्य व समाज सेवा है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-प्रकृति व समाज है। विशेषज्ञता में स्वयं को विद्यार्थी मानने वाले श्री शर्मा की रूचि-लेखन,गायन तथा समाज सेवा में है।

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