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सम्भल कर पाँव रखो

ऋचा सिन्हा
नवी मुंबई(महाराष्ट्र)
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मनुष्य सम्भल के पाँव रखो,
नीचे कुछ नई घास उगी है
नया नया अंकुर फूटा है,
नन्हें पौधे ने झांका है।

अरे रुको,नन्हा कीड़ा है,
कहीं पाँव से दब ना जाए
छोटी चींटी खाना लेकर,
घर को अपने जा रही है।

मत कुचलो इन जीवों को,
इन्होंने किसी का क्या बिगाड़ा
ये तो हैं मासूम से जीव,
ये जीते हैं अपनी दुनिया।

जिसने धरा पर तुमको भेजा,
उसी ने इन जीवों को भेजा
फिर क्यूँ ये कुचले जाते,
नाहक ही मरते जाते।

रोज ही इस संसार में,
कितने ही कीट कुचल जाते।
मानव तुम सम्भल कर चलो,
नन्हें जीवों को ज़रा बचा कर चलो॥

परिचय – ऋचा सिन्हा का जन्म १३ अगस्त को उत्तर प्रदेश के कैसर गंज (जिला बहराइच) में हुआ है। आपका बसेरा वर्तमान में नवी मुम्बई के सानपाड़ा में है। बचपन से ही हिंदी और अंग्रेजी साहित्य में रुचि रखने वाली ऋचा सिन्हा ने स्नातकोत्तर और बी.एड. किया है। घर में बचपन से ही साहित्यिक वातावरण पाने वाली ऋचा सिन्हा को लिखने,पढ़ने सहित गाने,नाचने का भी शौक है। आप सामाजिक जनसंचार माध्यमों पर भी सक्रिय हैं। मुम्बई (महाराष्ट्र)स्थित विद्यालय में अंग्रेज़ी की अध्यापिका होकर भी हिंदी इनके दिल में बसती है,उसी में लिखती हैं। इनकी रचनाएँ विभिन्न पत्रिकाओं में छप चुकीं हैं,तो साझा संग्रह में भी अवसर मिला है।

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