वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरी
कुशीनगर(उत्तर प्रदेश)
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अस्पताल हैं हमें बचाते,
मजहब करता है बँटवारा।
धर्म अनेक हैं दुनिया में,
ईश्वर के भी नाम कई हैं।
जगह-जगह पूजालय लाखों,
इस धरती पर धाम कई हैं।
इतने सारे देश बने हैं,
इसी धरम के कारण भाई।
धर्मों के ही कारण होती,
मनुज-मनुज में रोज़ लड़ाई।
ईश्वर ने दुख दूर किया कब ?
लोगों ने तो बहुत पुकारा-
अस्पताल हैं हमें बचाते,
मजहब करता है बँटवारा॥
प्यार करो तुम इक-दूजे से,
भाई गुण की खान बनो तुम।
हिन्दू-मुस्लिम-सिक्ख-इसाई,
से पहले इंसान बनो तुम।
रहते यदि हम ईश भरोसे,
जीना भी आसान न होता।
मर जाते सब बीमारी से,
खड़ा अगर विज्ञान न होता।
कहने को तो हैं गिरजाघर,
मंदिर-मस्जिद औ गुरुद्वारा-
अस्पताल हैं हमें बचाते,
मजहब करता है बँटवारा॥
परिचय–वकील कुशवाहा का साहित्यिक उपनाम आकाश महेशपुरी है। जन्म तारीख १५ अगस्त १९८० एवं जन्म स्थान ग्राम महेशपुर,कुशीनगर (उत्तर प्रदेश)है। वर्तमान में भी कुशीनगर में ही हैं,और स्थाई पता यही है। स्नातक तक शिक्षित श्री कुशवाहा क़ा कार्यक्षेत्र-शिक्षण(शिक्षक)है। आप सामाजिक गतिविधि में कवि सम्मेलन के माध्यम से सामाजिक बुराईयों पर प्रहार करते हैं। आपकी लेखन विधा-काव्य सहित सभी विधाएं है। किताब-‘सब रोटी का खेल’ आ चुकी है। साथ ही विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन हो चुका है। आपको गीतिका श्री (सुलतानपुर),साहित्य रत्न (कुशीनगर) शिल्प शिरोमणी सम्मान (गाजीपुर)प्राप्त हुआ है। विशेष उपलब्धि-आकाशवाणी से काव्यपाठ करना है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-रुचि है।