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शबरी ही समझाए भक्ति

रेणू अग्रवाल
हैदराबाद(तेलंगाना)
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मतंग मुनि की शिष्या शबरी कहलाए,
त्रेता युग की भक्ति शबरी ही समझाए।
आँगन बुहारे फ़ूल बिछाए,राम-राम नित रोज़ जपे,
लगन भक्ति में हो तो भगवान भी चलकर आए॥

बचपन बीता आई जवानी बुढ़ापा भी अकुलाए,
पर शबरी भक्ति में नित-नित बढ़-बढ़ जाए।
एक दिन आएंगे राम ज़रूर मेरे द्वारे,
भगवान भक्तों में न ऊंच-नीच दिखाए॥

झूठे बेर ख़िलाती शबरी लक्ष्मण तो भन्नाए,
राम बड़े प्रेम से खाते लक्ष्मण को समझाए।
एक न मानी लक्ष्मण ने चुपचाप रहे बैठे,
देख भक्त और भगवान को देवता भी हर्षाए॥

बेर खिलाकर शबरी हुई भक्ति में भावविभोर,
प्राण तजे शबरी ने न कोई होता शोर।
ज्योति निकली देखे लक्ष्मण राम में समा गई,
ऐसी भक्ति देखी लखन ने जिसका ओर न छोर॥

परिचय-रेणू अग्रवाल की जन्म तारीख ८ अक्टूबर १९६३ तथा जन्म स्थान-हैदराबाद है। रेणू अग्रवाल का निवास वर्तमान में हैदराबाद(तेलंगाना)में है। इनका स्थाई पता भी यही है। तेलंगाना राज्य की वासी रेणू जी की शिक्षा-इंटर है। कार्यक्षेत्र में आप गृहिणी हैं। सामाजिक गतिविधि के तहत समाज में शाखा की अध्यक्ष रही हैं। लेखन विधा-काव्य(कविता,गीत,ग़ज़ल आदि) है। आपको हिंदी,तेलुगु एवं इंग्लिश भाषा का ज्ञान है। प्रकाशन के नाम पर काव्य संग्रह-सिसकते एहसास(२००९) और लफ़्ज़ों में ज़िन्दगी(२०१६)है। रचनाओं का प्रकाशन कई पत्र-पत्रिकाओं में ज़ारी है। आपको प्राप्त सम्मान में सर्वश्रेष्ठ कवियित्री,स्मृति चिन्ह,१२ सम्मान-पत्र और लघु कथा में प्रथम सम्मान-पत्र है। आप ब्लॉग पर भी लिखती हैं। इनकी विशेष उपलब्धि-गुरुजी से उज्जैन में सम्मान,कवि सम्मेलन करना और स्वागत कर आशीर्वाद मिलना है। रेणू जी की लेखनी का उद्देश्य-कोई रचना पढ़कर अपने ग़म दो मिनट के लिये भी भूल जाए और उसके चेहरे पर मुस्कान लाना है। इनके लिए प्रेरणा पुंज-हर हाल में खुशी है। विशेषज्ञता-सफ़ल माँ और कवियित्री होना है,जबकि रुचि-सबसे अधिक बस लिखना एवं पुरानी फिल्में देखना है।

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