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मौन से न्याय सम्भव नहीं

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’
ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर)

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मौन से न्याय कदापि सम्भव नहीं है,जबकि यह कहना अधिक उपयुक्त होगा कि मौन रहकर स्वयं द्वारा स्वयं से अन्याय करना है और गीता के उपदेश के अनुसार अन्याय करना और सहना हर दृष्टिकोण से महापाप होता है।
भले ही मौन से मन की शक्ति बढ़ती है,और सर्वविदित है कि शक्तिशाली मन में किसी प्रकार का भय,क्रोध,चिंता और व्यग्रता टिक नहीं पाती है, क्योंकि मौन का अभ्यास करने से मानसिक शक्ति अत्याधिक बढ़ती है।
न्याय और अन्याय में मात्र ‘अ’ का अंतर है, परन्तु असल जीवन में ‘जमीन और आसमान’ जितना भारी अंतर होता है। न्याय यदि अमृत है तो अन्याय विष है,जो घर,परिवार,मुहल्ला,गाँव,शहर, जिला,राज्य और देश बर्बाद कर देता है।
मेरा अनुभव है कि अन्याय किसी भी बीमारी अथवा महामारी से अधिक घातक होता है,जिसका तुरंत उपचार राष्ट्रहित में अनिवार्य है।
अतः न्याय के मंदिर ‘न्यायालय’ और उसके पुजारी ‘न्यायमूर्ति’ को चाहिए कि न्याय और अन्याय पर मौन रहने वालों पर संवैधानिक धाराओं द्वारा कड़ी से कड़ी दंडात्मक कार्रवाई करें। चूंकि, न्यायाधीश और मुख्य न्यायाधीश परिवर्तनशील हैं जबकि न्यायालय हिमालय पर्वत की भांति स्थिर है।

परिचय–इंदु भूषण बाली का साहित्यिक उपनाम `परवाज़ मनावरी`हैL इनकी जन्म तारीख २० सितम्बर १९६२ एवं जन्म स्थान-मनावर(वर्तमान पाकिस्तान में)हैL वर्तमान और स्थाई निवास तहसील ज्यौड़ियां,जिला-जम्मू(जम्मू कश्मीर)हैL राज्य जम्मू-कश्मीर के श्री बाली की शिक्षा-पी.यू.सी. और शिरोमणि हैL कार्यक्षेत्र में विभिन्न चुनौतियों से लड़ना व आलोचना है,हालाँकि एसएसबी विभाग से सेवानिवृत्त हैंL सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप पत्रकार,समाजसेवक, लेखक एवं भारत के राष्ट्रपति पद के पूर्व प्रत्याशी रहे हैंL आपकी लेखन विधा-लघुकथा,ग़ज़ल,लेख,व्यंग्य और आलोचना इत्यादि हैL प्रकाशन में आपके खाते में ७ पुस्तकें(व्हेयर इज कांस्टिट्यूशन ? लॉ एन्ड जस्टिस ?(अंग्रेजी),कड़वे सच,मुझे न्याय दो(हिंदी) तथा डोगरी में फिट्’टे मुँह तुंदा आदि)हैंL कई अख़बारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैंL लेखन के लिए कुछ सम्मान भी प्राप्त कर चुके हैंL अपने जीवन में विशेष उपलब्धि-अनंत मानने वाले परवाज़ मनावरी की लेखनी का उद्देश्य-भ्रष्टाचार से मुक्ति हैL प्रेरणा पुंज-राष्ट्रभक्ति है तो विशेषज्ञता-संविधानिक संघर्ष एवं राष्ट्रप्रेम में जीवन समर्पित है।

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