नियति से हारा नहीं हूँ…
अनुपम आलोक उन्नाव(उत्तरप्रदेश) ****************************************************************** जलधि-सा उन्मुक्त मैं ! पर- चित्त से खारा नहीं हूँl चातकों-सी साधना है- नियति से हारा नहीं हूँll पीर! पर्वत बन भले ही- व्योम से कर ले मिताईl वेदना उमडे़,घुमड़ कर- श्वाँस से कर ले सगाईl पर न मानूँगा,करुँगा, कर्म का मैं यज्ञ पल-पल, जिंदगी भी रुठ करके- चाहे कर ले … Read more