वर्षा
अर्चना पाठक निरंतर अम्बिकापुर(छत्तीसगढ़) ***************************************************************************** लगे सुहानी वर्षा प्यारी। मंद पवन की ठंडक न्यारी॥ छोड़ घोंसला पंछी भागे। पेड़ों पर नव पल्लव जागे॥ कहे पपीहा मीठी वाणी। छुप-छुप किया करे मनमानी॥ शीतल मंद पवन मदमाती। रवि किरणें तन- मन को भाती॥ क्षितिज कोहरा नभ धुँधलाता। हरा-भरा तृण हृदय लुभाता! काँटों बीच पुष्प मुस्काता। भौंरा जीवन गाथा … Read more