स्त्री…एक किताब

अमृता सिंहइंदौर (मध्यप्रदेश)************************************************ स्त्री…होती है जैसे…एक किताब…देखते तो हैं सब जिसे..,अपनी-अपनी अपेक्षाओं केहिसाब से…। घूरता है कोई…उत्सुक-सा,समझ के रंगीन चित्रकथाउसे,सोचता है कोई…उपन्यास सस्ता और घटिया-सा। कुछ होते हैं जो,पलटते हैं पन्ने इसकेगुज़ारने को अपना वक़्त खाली,तो सजा देते हैं कुछ…घर के पुस्तकालय में इसे,किसी नायाब लेखक की कृतिसमझ कर…। हैं कुछ ऐसे भी,रद्दी समझते हैं … Read more