औरत

आशा जाकड़ ‘ मंजरी’ इन्दौर(मध्यप्रदेश) *********************************************************** औरत… पराधीनता का है नाम न उसकी कोई पहचान, न अपना कोई काम उसका कुछ अपना नहीं, सोचा हुआ सपना नहीं जन्म से मृत्यु तक अधीन, अन्यथा है वह श्री विहीन है देवी,पूज्यनीया और जननी। जो अपने लिए नहीं, औरों के लिए जीती है आँखों में आँसू लेकर, औरों … Read more

जाडे़ की धूप………..

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’ जमशेदपुर (झारखण्ड) ******************************************* जाड़े की गुनगुनाती, धूप की एक किरण, कैद करना हूँ चाहती अपनी मुट्ठी में। बंद दरवाजे खिड़कियों से झांकती, धीमे से छेड़ जाती मुझे कितने अनबोले शब्द, मचलते अधरों पर मुस्कुराती-सहलाती मैं, उस किरण को! जगने है लगती उसके संग, विश्वास की लहर कहीं जो पीछे छूट गया, … Read more

ओस की बूंदें

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’ जमशेदपुर (झारखण्ड) ******************************************* लिए चमक हीरे मोती गौरव, देखिए इठलाती ओस की बूंदें भोर किरण की इन पर गिरती, हृदय आनंदित देख कर बूंदेंl शीत ठंड हरी घासों पे सजती, दमक-दमक कहती हैं ये बूंदें सजा रही हूँ धरती को अनुपम, प्रकृति कहती मुझे लुभाती बूंदेंl पुष्प पंखुरियाँ धीमे हैं खुलती, … Read more

वो सुनहरे बडे़ दिन की छुट्टी

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’ जमशेदपुर (झारखण्ड) ******************************************* ‘बड़े दिन की छुट्टी’ स्पर्धा  विशेष……… आया शीत बडे़ दिन की छुट्टी, समृति में जागे बचपन के दिन उत्साह भरा होता था मन में, सखी मित्र संग खेल उपवन में। भाई-बहनों की हँसी घुल-मिल, चलो सजायें हम क्रिसमस वृक्ष बैलून चमक फीतों से सजाते, जली मोमबत्तियाँ घेर सजाते। … Read more

मुझे भी जीने का हक

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’ जमशेदपुर (झारखण्ड) ******************************************* युगों-युगों से तुम कहते, देवी मान कभी हो पूजते माता सखी बहन प्रेयसी, कितने रुपों में मैं जीती। गर्भ में तुम्हें धारण कर, सौ-सौ मन्नतें मैं माँ करती तुम्हारी तुतलाती सुन बातें, हँसती औ बलैया मैं लेती। बहना हूँ भैया उम्र बढा़ती, देख मेरे अल्हड़ भावों पर और … Read more

अब तुम्हें नहीं दूंगी जन्म!

oooooooo सुनो पुरूषों, अब मैं तुम्हें नहीं दूंगी जन्म जो तुम भोग सको मुझे। बलात्कार, फिर हत्या बर्बरता के विरुद्ध, मैं लडूंगी खुद से ही। जब प्रेम का बीज फूटेगा, मेरे भीतर एक पत्थर रख लूंगी। जब जगेगी, माँ बनने की इच्छा अपनी कोख गिरा दूंगी। मैं नहीं बनूँगी माँ, मैं अब तुम्हें नहीं दूंगी … Read more

न्याय चाहिए

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’ जमशेदपुर (झारखण्ड) ******************************************* हैदराबाद घटना-विशेष रचना…………….. कितनी निर्भया कितनी बालिकाएं, कितनी प्रियंका कितनी नन्हीं जान। न्याय माँगे बेटियाँ माताओं की आन, सुधार तत्परता सजा की है गुहार। पनप रहें कितने खूंखार युवा संसार, दरिंदगी हद पार करते आत्मा मार। नही सहेंगें ना रूकेगें चाहिए न्याय, नही सुरक्षित हम तुम्हारी बेटियाँ। तुम्हारे … Read more

बेबस बचपन

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’ जमशेदपुर (झारखण्ड) ******************************************* हृदय पीड़, बेबस बचपन… कैसे सुलझे ? श्रम करते, बेबस बचपन… सोचिए आपl कारण कई, बेबस बचपन… गरीबी भारीl पोषण करे, बेबस बचपन… परिवार काl जूठन धोए, बेबस बचपन… क्षुधा मिटायेl पढा़ई नहीं, बेबस बचपन… तड़पे देखl खेलना चाहे, बेबस बचपन… नयन नीरl सोचे समाज, बेबस बचपन… कैसे … Read more

अनंतदास

डाॅ.आशा सिंह सिकरवार अहमदाबाद (गुजरात )  **************************************************************** वह आदिवासी लड़का, दिन-दिन भर चढ़ता पहाड़ों पर, चींटियों के साथl उनकी भूख को अपनी हथेली पर सजाता, फिर उतरता पेड़ों से छाँव बनकरl अब शहर में, धोते हुए चाय के कप, गिरती जाती बूँद-बूँद कुएँ मेंl सिहर उठती पीठ, मालिक की आवाज पर दौड़ता,नहीं रूकता एक भी … Read more

धुंध की चादर

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’ जमशेदपुर (झारखण्ड) ******************************************* छायी धुंध की चादर, शहरों में घुटन ऐसी जन-जीवन का अभिशाप, उफ्फ कर रहा हर जंतु-जीवl प्रगति कहे मानव दोषी, मानव कहे प्रगति कारण कल कारखाने मोटर-कार, दो पहिया ट्रक ए.सी. अनेकl किसानों ने जलाई पिराली, तापमान हुआ असंतुलित घनत्व वायु का जो बढ़ा, उलझन ऐसी नमी के … Read more