मानवतावाद सत रहने का

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’ जमशेदपुर (झारखण्ड) ******************************************* अंतरराष्ट्रीय शरणार्थी दिवस विशेष……….. बड़ा ही दु:खद होए पल, दु:ख-दर्द असमर्थता का जब ना हो कोई राह, जीवन रक्षा करने कीl अकाल भूख…

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बेटियाँ

डाॅ.आशा सिंह सिकरवार अहमदाबाद (गुजरात )  **************************************************************** जिन्होंने हमारी बेटियों को नोंच-नोंच खाया, अबोधिनी ने स्वयं को कितना अकेला पाया होगा रक्त से तर देह पर, न जाने कितने प्रहार…

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सभी औरतें दलित हैं

डाॅ.आशा सिंह सिकरवार अहमदाबाद (गुजरात )  **************************************************************** "संसार की सभी औरतें दलित हैं" कमला कहाँ है ? ढूँढो! मिलेगी कहीं कीचड़ में, गाँव के बाहर कहीं निर्जन में समेटती, अपने…

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मेरी ये पीड़ा समझोगे कभी!

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’ जमशेदपुर (झारखण्ड) ******************************************* धरती कहे पुकार के... जरा देख मुझे संतान मेरी, अपने हृदय के प्यार से अपने चक्षु की नमी से, कब समझोगे मेरा प्रेम…

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खिड़की खुली रहीं

डाॅ.आशा सिंह सिकरवार अहमदाबाद (गुजरात )  **************************************************************** खिड़की और दरवाजे, झाड़ते-पोंछते पता ही नहीं लगा, कि कब खुल गयीं खिड़कियाँ कब खुल गए दरवाजे, मेरे लिए। जंगलों की तरफ, रात-रात…

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उत्कर्ष

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’ जमशेदपुर (झारखण्ड) ******************************************* आत्मदृष्टि पाना ही दु:ख हरण का मार्ग है, करम ताे जीवन फिर क्याें पीड़ा की आग है ? क्यों सोचता है मानव हर…

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मैं ढूंढ रहा हूँ..

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’ पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड) ****************************************************************************** मैं वस्त्रों में लिपटे रजकन ढूंढ रहा हूँ। मैं वो अपना मनहर बचपन ढूंढ रहा हूँll चोर,वजीर,सिपाही लिखते थे कागज पर, या सिक्कों की गुच्ची…

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सीमाएँ जब टूटती हैं…

डाॅ.आशा सिंह सिकरवार अहमदाबाद (गुजरात )  **************************************************************** सीमाएँ जब टूटती हैं, बनी हुई मूरत को जब हथौड़े से तोड़ा जाता है, सदियों पुरानी मूरत पहले झेलेगी छोटे-छोटे वार, असंख्य प्रहारों…

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आओ हम सौगंध उठाएं

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’ जमशेदपुर (झारखण्ड) ******************************************* आओ हम सौगंध उठाएं, कर्म पथ पर बढ़ते जाएं। समाज से कुरीतियाँ हटाएं, जन-मन का हम ज्ञान बढ़ाएं। कर्तव्य कहीं जो डगमगाए, उस…

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घूँट

डाॅ.आशा सिंह सिकरवार अहमदाबाद (गुजरात )  **************************************************************** उसने पिए सदियों जितने घूँट अपमान के, समाज के आईने में स्वयं को खो दिया, दु:ख और निराशा के भीतर खोजती रही नये…

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