स्नेहिल वटवृक्ष पिता

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’जमशेदपुर (झारखण्ड)******************************************* ‘पिता का प्रेम, पसीना और हम’ स्पर्धा विशेष….. पिता के प्रेम की कहाँ शुरू करूँ मैं बात,पिता हृदय रहे अनुपम स्नेह दिन औ रातहर दिन…

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अंतर मन से श्रेष्ठ बनें

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* विश्व सौहार्द दिवस स्पर्धा विशेष…. अंतर मन से श्रेष्ठ बनें तब,होगा जग कल्याण।सत्य पथिक नित बनना होगा,तब संभव है त्राण। हृदय बसाएँ प्रेम भाव को,नित आएँ…

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बाल श्रम रोकें

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* रोकें मिलकर बाल श्रम,समझे मनुज सुजान।बच्चों के इस कार्य से,बाधित है उत्थान॥बाधित है उत्थान,बालपन कोमल होता।शिक्षा से रह दूर,नित्य ही सब-कुछ खोता॥धर लें उत्तम मार्ग,बढ़ें वे…

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कबीरदास

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* शुभ कबीर कविराज,जगत के है उजियारा।नेक दिया संदेश,मिटाया मन अँधियारा॥कासी रहा निवास,बोल नित सत गुण भाषा।बोले संत कबीर,सत्य ही मन परिभाषा॥ गुरुवर रामानंद,कबीर सत् पथ अपनाए।करके…

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राजनीति का खेल

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* राजनीति के खेल में,पिसते सदा गरीब।वोट माँगकर दीन का,जाते नहीं करीब॥ सत्ता पाना है हमें,एक यही बस लोभ।मरते नित्य गरीब पर,कभी न करते क्षोभ॥ दौलत की…

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ज़िंदगी की जंग

डॉ. आशा मिश्रा ‘आस’मुंबई (महाराष्ट्र)******************************************* पतंग-सी हो गई है ज़िंदगी,जानती है,जब तक ऊँचाई हैबस तब तक वाहवाही है,पर उड़ने की चाह है इतनीकि कटने की परवाह नहीं…। हमारे बदलते लहजे…

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मानव हूँ

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* मैं मानव हूँ स्वार्थ धरें नित,करता काम।कभी न सोचूँ अहित काज का,निज अंजाम॥ लोभ मोह में फँसता जाता,मैं अज्ञान,दीन-दुखी को बहुत सताया,बन अनजान।पीछे मुड़कर पीर न…

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सीख बाँटता तू अज्ञान

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* स्वार्थ बसाकर सीख बाँटता,तू अज्ञान।द्वेष कपट रखकर कहता है,तू भगवान॥ दीन दुखी को बहुत सताया,करके लूट,बुरे कर्म पर चलने की क्या,तुझको छूट। गर नहिं सँभला तो…

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भूचालों की बुनियादों पर

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* भूचालों की बुनियादों पर,बना रखा है घर।स्वप्न सलोने बुनती हूँ मैं,आशा है सुंदर॥ अनजानों से रिश्तें कहते,सभी पराये हैं,पर अपने निज रिश्ते मानें,काम न आए हैं।पग-पग…

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आक्सीजन कहाँ है!

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* आक्सीजन अब ढूँढ रहे हो।मत काटो क्या पेड़ कहे हो॥ वर्तमान में मानुष रोता।लोभ मोह में सब-कुछ खोता॥ कलयुग का यह है संदेशा।कभी लगाया नहि अंदेशा॥…

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