यत्र-तत्र-सर्वत्र

अरुण कुमार पासवान ग्रेटर नोएडा(उत्तरप्रदेश) ******************************************************************* जानता हूँ,परिवर्तन शाश्वत सत्य है प्रकृति का। परिवर्तन न हो तो थम जाए गति,रुक जाए सब-कुछ, जैसे रुक जाता है साँसों का चलना ज्ञानेन्द्रियों और कर्मेन्द्रियों की हरकत भी थम जाती है, रुक जाने के बाद प्राण वायु का अनवरत परिवर्तन…। पर,अंतर होता है,और होना चाहिए बाह्य और आंतरिक … Read more