फूल और शूल

हरीश बिष्ट अल्मोड़ा (उत्तराखण्ड) ******************************************************************************** फूल बन खिले रहो कांटों संग मिले रहो, खूशबू से मिल सारा जग महकाइये। काँटों का न छोड़े साथ फूलों की है अच्छी बात, अपनों के साथ मिल खुशियां मनाइये। दु:ख-सुख मिल बांटो खुशी-खुशी दिन काटो, राह भूले-भटकों को , राह भी दिखाइये। अपनों के संग प्यारे दुनियां के रंग … Read more

बचपन

हरीश बिष्ट अल्मोड़ा (उत्तराखण्ड) ******************************************************************************** बचपन तो बचपन ही था, बचपन को जाना था कब। जब रखा कदम जवानी में, बचपन को समझा है अब॥ बचपन को समझा है अब, बचपन तो बचपन ही…॥ थे खाते-पीते मौज मनाते, हम कितने रहते थे मस्त। खेलते रहते नहीं रुकते थे, हो जाते थे चाहे पस्त॥ हो जाते … Read more