कुल पृष्ठ दर्शन : 267

You are currently viewing फूल और शूल

फूल और शूल

हरीश बिष्ट
अल्मोड़ा (उत्तराखण्ड)
********************************************************************************
फूल बन खिले रहो
कांटों संग मिले रहो,
खूशबू से मिल सारा
जग महकाइये।

काँटों का न छोड़े साथ
फूलों की है अच्छी बात,
अपनों के साथ मिल
खुशियां मनाइये।

दु:ख-सुख मिल बांटो
खुशी-खुशी दिन काटो,
राह भूले-भटकों को ,
राह भी दिखाइये।

अपनों के संग प्यारे
दुनियां के रंग सारे,
खुशियों के रंग भर
दुनिया सजाइये॥

परिचय– हरीश बिष्ट की जन्मतारीख ३० जुलाई १९८० है। वर्तमान में मोतीबाग(नई दिल्ली) में रहते हैं, जबकि स्थाई निवास ग्राम-मटेला (रानीखेत),जिला-अल्मोड़ा (उत्तराखण्ड)है। एम.ए.(अर्थशास्त्र) तक शिक्षित श्री बिष्ट का कार्यक्षेत्र-नौकरी है। लेखन विधा-कविता एवं गीत है। सांझा काव्य संग्रह में आपकी रचनाएं आ चुकी हैं तो पत्रिकाओं में भी रचनाएं प्रकाशित हुई है। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में सांझा काव्य संग्रहों सहित रामेश्वर दयाल दुबे साहित्य सम्मान,आखिल भारतीय साहित्य परिषद से सर्वश्रेष्ठ सहभागिता के लिए सम्मान पत्र, ‘भारत विभूति’,’काव्य अरुणोदय’ आदि हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-साझा काव्य संग्रह-अर्पण, अभिव्यक्ति,नवचेतना,अरुणोदय और भावकलश है। पसंदीदा लेखक-जयशंकर प्रसाद को मानने वाले श्री बिष्ट के लिए प्रेरणा पुंज-आनन्द वर्धन शर्मा हैं। विशेषज्ञता-साहित्यिक रचनाओं का सृजन ही विशेषता है एवं उसी ओर प्रयासरत हैं। देश और हिन्दी भाषा के प्रति आपके विचार-“अपने-आपको सौभाग्यशाली मानता हूँ कि मैंने इस पावन धरती पर जन्म लिया, जिसके लिए सदैव इस मातृभूमि का ऋणी रहूँगा। हिन्दी भाषा,हमारी मातृ-भाषा है,और मुझे गर्व है अपनी इस मातृ-भाषा पर। हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार के तहत नवसृजन करते हुए आपना योगदान देने के लिए सदैव प्रयासरत हूँ।

Leave a Reply