खिलना फूलों-सा

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** खिलना फूलों-सा यहाँ,महके सदा बहार। होंठों पर मुस्कान हो,मिले सभी का प्यार॥ मिले सभी का प्यार,लगे जन-जन को प्यारा। सुन्दर हो व्यवहार,तुझे पूजे जग सारा॥ कहे ‘विनायक राज’,गले तुम सबसे मिलना। रखना हँसी जुबान,खुशी से हरदम खिलना॥