हम और तुम
देवश्री गोयलजगदलपुर-बस्तर(छग)********************************************** काव्य संग्रह हम और तुम से….. तुम हो मेरे प्रेम की परिभाषा,मैं तुम्हारा अर्थ प्रिये…हम-तुम मिल कर आओ रच दें,नूतन कोई छंद प्रिये…। तुम हो मेरे जीवन की आशा,मैं तुम्हारा दर्प प्रिये…हम-तुम मिल कर आओ कर दें,नूतन कोई आरंभ प्रिये…। तुम हो मेरे भावों की भाषा,मैं तुम्हारा बन्ध प्रिये…हम-तुम मिल कर आओ कर … Read more