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हम और तुम

देवश्री गोयल
जगदलपुर-बस्तर(छग)
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काव्य संग्रह हम और तुम से…..

तुम हो मेरे प्रेम की परिभाषा,
मैं तुम्हारा अर्थ प्रिये…
हम-तुम मिल कर आओ रच दें,
नूतन कोई छंद प्रिये…।

तुम हो मेरे जीवन की आशा,
मैं तुम्हारा दर्प प्रिये…
हम-तुम मिल कर आओ कर दें,
नूतन कोई आरंभ प्रिये…।

तुम हो मेरे भावों की भाषा,
मैं तुम्हारा बन्ध प्रिये…
हम-तुम मिल कर आओ कर दें,
नूतन कोई द्वंद्व प्रिये…।

तुम मेरे जीवन की सरगम,
मैं तुम्हारा राग प्रिये
हम-तुम मिल कर आओ गाएं,
नूतन कोई पर्व प्रिये…।

हर युग में हो नाम हमारा,
हर दिशा हमारा प्रेम कहे।
हम-तुम मिल कर आओ लिख दें,
नूतन कोई अनुबंध प्रिये…॥

परिचय-श्रीमती देवश्री गोयल २३ अक्टूबर १९६७ को कोलकाता (पश्चिम बंगाल)में जन्मी हैं। वर्तमान में जगदलपुर सनसिटी( बस्तर जिला छतीसगढ़)में निवासरत हैं। हिंदी सहित बंगला भाषा भी जानने वाली श्रीमती देवश्री गोयल की शिक्षा-स्नातकोत्तर(हिंदी, अंग्रेजी,समाजशास्त्र व लोक प्रशासन)है। आप कार्य क्षेत्र में प्रधान अध्यापक होकर सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत अपने कार्यक्षेत्र में ही समाज उत्थान के लिए प्रेरणा देती हैं। लेखन विधा-गद्य,कविता,लेख,हायकू व आलेख है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा का प्रचार-प्रसार करना है,क्योंकि यह भाषा व्यक्तित्व और भावना को व्यक्त करने का उत्तम माध्यम है। आपकी रचनाएँ दैनिक समाचार पत्र एवं साहित्यिक पत्रिकाओं में प्रकाशित हैं। आपके पसंदीदा हिंदी लेखक-मुंशी प्रेमचंद एवं महादेवी वर्मा हैं,जबकि प्रेरणा पुंज-परिवार और मित्र हैं। देवश्री गोयल की विशेषज्ञता-विचार लिखने में है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“हिंदी भाषा हमारी आत्मा की भाषा है,और देश के लिए मेरी आत्मा हमेशा जागृत रखूंगी।”

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