क्या जमाना था
श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* दिल खुशी से झूम उठता है सखी,बीती बचपन की बातों से,वो भी क्या जमाना था,याद करती हूँ,हँसी आती उन यादों से। वो भी क्या जमाना था,मैं खेली थी गुड्डों-गुड़िया से,कैसे बीता वह जमाना,सब याद है मुझको बढ़िया से। वो भी क्या जमाना था,सावन में सखी झूला झूलती थी,अपने पीहर,सासरा की बातें,सब … Read more