बंजारा

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ************************************************** (रचना शिल्प:ध्रुवपंक्ति-नहीं ठहरता एक जगह पर,सचमुच मन बंजारा है।) चलते-चलते थक मत जाना,लक्ष्य ने आज पुकारा है।नहीं ठहरता एक जगह पर,सचमुच मन बंजारा हैll मंजिल तभी मिलेगी इक दिन,सतत राह पर चलना है।चाहे लंबी राह हो कितनी,फिर भी चलते जाना है।रुकने का तुम नाम न लेना,चरैवेति का नारा है।नहीं ठहरता एक … Read more