तेरा वजूद

ऋतुराज धतरावदा इंदौर(मध्यप्रदेश) ******************************************************************* नहीं जानती है तू कहाँ तक फैला है तेरा वजूद, फूलों की खुशबूओं दिल तक छूते हर इक स्पर्श, गोधूली से नहाती साँझ चौके से उठती भीनी-सी लहर, धुँध में डूबी सुबह मस्ज़िद की पहली अज़ान मंदिरों की संध्या आरती, पहाड़ी नद के नाद चीड़ के जंगल में झाँकती किरण बूँदों … Read more