फौजी

देवेन्द्र कुमार ध्रुव गरियाबंद(छत्तीसगढ़ ) ************************************************************************** वतन परस्ती के जमाने में बनते हैं किस्से, देश पर मर मिटने वाले होते हैं फरिश्ते, वो मरकर भी,दुनिया में अमर हो जातेे हैं, शहादत आती है,जिन लोगों के हिस्से। दिल में रखते हैं जज्बा,रगों में होता जुनून, देश के काम आकर पाते हैं,चैन और सुकून, किसी भी बात … Read more

पिताजी

देवेन्द्र कुमार ध्रुव गरियाबंद(छत्तीसगढ़ ) ************************************************************************** मुझे लगता था वो मुझे डांटने-दबाने में लगे रहे, मैं गलत था,वो तो मुझे ऊपर उठाने में लगे रहे। उनके टोकने,और रोकने से मैं खीझ जाता, मगर मेरे पिता मुझे बेहतर बनाने में लगे रहे। मैं जिद में अड़ जाता,बड़ी हसरतें करता, वो चुपचाप मेरी जरूरतें जुटाने में लगे … Read more