नहीं करें प्रकृति का क्षरण
नताशा गिरी ‘शिखा’ मुंबई(महाराष्ट्र) ********************************************************************* विश्व धरा दिवस स्पर्धा विशेष……… मौत का कैसा समां,दिखा रहा है क्यूँ ख़ुदा, प्रकृति के नजारे,क्यूँ कुपित लगे हैं सारे। बादल गरज रहे हैं,कहीं प्यासी तड़पती धरती, बिलख रहे हैं मासूम यहाँ पे,वहां पे बाढ़ आई। तबाही का खेल खेले,लाशों के ढेर इतने, दफनाने को जगह नहीं,सर छुपाने को घर … Read more