‘साहित्य` एक कदम शुद्धता की ओर

गोलू सिंह रोहतास(बिहार) ************************************************************** सजग,सचेत,सावधान हूँ मैं, हौंसला,हिम्मत,हिंदुस्तान हूँ मैंl आँचल,घूँघट,परिधान हूँ मैं, कुटिया,झोपड़ी,मकान हूँ मैंl घर,आँगन,बागान हूँ मैं, किलकारी,हँसी,मुस्कान हूँ मैंl धरा,पाताल,आसमान हूँ मैं, संध्या,रात्रि,विहान हूँ मैंl प्रेम,मित्रता,प्राण हूँ मैं, त्याग,तपस्या,ज्ञान हूँ मैंl चरित्र,संपत्ति,जुबान हूँ मैं, शुद्ध,साहित्य,सम्मान हूँ मैंl भेष,भाषा,पहचान हूँ मैं, विचार,भाव,आदान-प्रदान हूँ मैंl स्वतंत्र,स्वदेशी,स्वाभिमान हूँ मैं, हिंद,हिंदी,हिंदुस्तान हूँ मैंl मैं साहित्य हूँ, … Read more

मन ही मन मैं रो रहा

गोलू सिंह रोहतास(बिहार) ************************************************************** यह वासना का दलदल है, यह काया का मायाजाल है सुंदर चेहरे के पीछे बिछ रहा अब जंजाल है, अब हर तरफ बातें नहीं,बातों में वेश्यावृत्ति है भविष्य इसका उज्जवल है,घर-घर में यह कुरुति है, किस रिश्ते को लिखूं विस्तार कर शर्मशार खुद मैं हो रहा… ऐसी हालत देख माधव मन … Read more