कुल पृष्ठ दर्शन : 456

You are currently viewing ‘साहित्य` एक कदम शुद्धता की ओर

‘साहित्य` एक कदम शुद्धता की ओर

गोलू सिंह
रोहतास(बिहार)
**************************************************************
सजग,सचेत,सावधान हूँ मैं,
हौंसला,हिम्मत,हिंदुस्तान हूँ मैंl

आँचल,घूँघट,परिधान हूँ मैं,
कुटिया,झोपड़ी,मकान हूँ मैंl

घर,आँगन,बागान हूँ मैं,
किलकारी,हँसी,मुस्कान हूँ मैंl

धरा,पाताल,आसमान हूँ मैं,
संध्या,रात्रि,विहान हूँ मैंl

प्रेम,मित्रता,प्राण हूँ मैं,
त्याग,तपस्या,ज्ञान हूँ मैंl

चरित्र,संपत्ति,जुबान हूँ मैं,
शुद्ध,साहित्य,सम्मान हूँ मैंl

भेष,भाषा,पहचान हूँ मैं,
विचार,भाव,आदान-प्रदान हूँ मैंl

स्वतंत्र,स्वदेशी,स्वाभिमान हूँ मैं,
हिंद,हिंदी,हिंदुस्तान हूँ मैंl

मैं साहित्य हूँ,
शुद्धता की पहचान हूँ मैंl

चाँद,सूरज और सितारे सब मुझमें समाते हैं,
लिपटकर मेरे आँचल से मन ही मन इठलाते हैंl

जब कोई कवि मुझमें खो कर ‘चाँद का कुर्ता’ रच जाता है,
किसी की कल्पना में रात्रि को शेष सूरज बच जाता हैl

जब कोई नारी की तुलना न थकने वाले सूरज से करता है,
सत्य ही साहित्य को हृदय भर भरता हैl

‘जब मुट्ठी भर ले लेने की चाहत’ बन रचना रच जाती है,
शुद्ध कृति पल में ही हिमालय को चढ़ जाती हैl

जब दूरदर्शन कल्पना का हृदय में भोर करता है,
तब हृदय में राग बन साहित्य शोर करता हैl

जब नंदक वन का चंपक खरगोश घर-घर में घूम आता है,
तब साहित्य सभी के हृदय को चुम आता हैl

जब हृदय के खेतों पर प्रेम की वर्षा होती है,
कृति कुरेद उसकी मिट्टी को शब्दों के बीज बोती हैl

जब पंखों को पसार मोर का गायन होता है,
उसी तरह साहित्य हृदय का प्यारा सावन होता हैl

जब घर में तुलसी युक्त सुंदर आँगन होता है,
सत्य ही सदैव साहित्य का हृदय प्राँगण होता हैl

और,
अब भी जिस घर में शुद्ध हिंदी का व्यवहार होता है,
सत्य ही सर्वदा साहित्य संस्कार होता हैl

और,
जब आधुनिकता की उद्दंडता में रिश्ते हो जाएंगे कमजोर,
तब यही कहेगा श्री भारत
हिंदी साहित्य-एक कदम शुद्धता की ओर,
संस्कृत साहित्य-एक कदम शुद्धता की ओर…ll

परिचय-गोलू सिंह का जन्म १६ जनवरी १९९९ को मेदनीपुर में हुआ है। इनका उपनाम-गोलू एनजीथ्री है।lनिवास मेदनीपुर,जिला-रोहतास(बिहार) में है। यह हिंदी भाषा जानते हैं। बिहार निवासी श्री सिंह वर्तमान में कला विषय से स्नातक की पढ़ाई कर रहे हैं। इनकी लेखन विधा-कविता ही है। लेखनी का मकसद समाज-देश में परिवर्तन लाना है। इनके पसंदीदा कवि-रामधारी सिंह `दिनकर` और प्रेरणा पुंज स्वामी विवेकानंद जी हैं।

Leave a Reply