मानव का प्रकृति से आत्मसमर्पण
गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’ बरेली(उत्तर प्रदेश) ********************************************************************** प्रकृति और मानव स्पर्धा विशेष…….. प्रकृति है तो मानव है,वरना मानव अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। प्रकृति से प्राणवायु,जीवनयापन के साधन,औषधि और रत्नों का भंडार सभी कुछ तो मिलता है। कहते हैं कि हर वस्तु की हर काम की एक सीमा होती है,जब कोई भी वस्तु या कर्म … Read more