तेरे शहर की हवा

श्रीकांत मनोहरलाल जोशी ‘घुंघरू’ मुम्बई (महाराष्ट्र) ************************************************************************* तेरे शहर की हवा भी गरम लगती है, तुझे देखने के बाद हर चीज भरम लगती हैl टूट जाने दे फिर आज इस शीशे को, जब भी देखती हूँ कुछ तो कमी लगती हैl कितने बेताब हैं लोग यहाँ तुझे देखने को, तेरी गली में मेलों की तरह भीड़ … Read more