कुल पृष्ठ दर्शन : 399

You are currently viewing तेरे शहर की हवा

तेरे शहर की हवा

श्रीकांत मनोहरलाल जोशी ‘घुंघरू’
मुम्बई (महाराष्ट्र)

*************************************************************************

तेरे शहर की हवा भी गरम लगती है,
तुझे देखने के बाद हर चीज भरम लगती हैl

टूट जाने दे फिर आज इस शीशे को,
जब भी देखती हूँ कुछ तो कमी लगती हैl

कितने बेताब हैं लोग यहाँ तुझे देखने को,
तेरी गली में मेलों की तरह भीड़ लगती हैl

तू है तो जैसे ये शहर जिंदा है,
तू नहीं तो हर गली सूनी लगती हैll

परिचयश्रीकांत मनोहरलाल जोशी का साहित्यिक उपनाम `घुंघरू` हैl जन्म ४ अप्रैल १९७८ में मथुरा में हुआ हैl आपका स्थाई निवास पूर्व मुंबई स्थित विले पार्ले में हैl महाराष्ट्र प्रदेश के श्री जोशी की शिक्षा बी.ए.(दर्शन शास्त्र) और एम.ए.(हिंदी साहित्य) सहित संगीत विशारद(पखावज) हैl कार्यक्षेत्र-नौकरी(एयरलाइंस) हैl लेखन विधा-कविता है। प्राप्त सम्मान में तालमणी प्रमुख है। प्रेरणा पुंज-मनोहरलाल जोशी(पिता)हैंl

Leave a Reply