हम बन जाएँ

ज्योति जैन 'ज्योति'कोलाघाट(पश्चिम बंगाल)****************************** काव्य संग्रह हम और तुम से.... चलो,मैं और तुमहम बन जाएँ,बारिश की तरहबूँद-बूँद मैं औरबूँद-बूँद तुममिलकर,बरसात बन जाएँ।बादलों में अठखेलियाँ करएक-दूसरे में खो जाएँ,तुम मेरे कृष्णमैं…

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