आज कोई रुठ गया

डॉ. वसुधा कामत बैलहोंगल(कर्नाटक) ******************************************************************* आज कोई रुठ गया, उसका साल अब चला गया उसके नयन भीगे थे, सिसकियाँ लेकर कहता वो बार-बार- `ना जाने मैंने कौन-से ऐसे कर्म किये,…

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