आज कोई रुठ गया

डॉ. वसुधा कामत बैलहोंगल(कर्नाटक) ******************************************************************* आज कोई रुठ गया, उसका साल अब चला गया उसके नयन भीगे थे, सिसकियाँ लेकर कहता वो बार-बार- `ना जाने मैंने कौन-से ऐसे कर्म किये, आखिर में सबने मुझे अलविदा कहाl` मैंने भी मुस्कुराते अलविदा करते सबसे कहा- `भूल जाना गर मैने गम दिये हों तो, भूल जाना गर मैंने … Read more