यह ऋतु मस्तानी

सुखवीन कंधारीनवीं मुम्बई(महाराष्ट्र) ************************************************** ‘बसंत पंचमी’ को हिंदी के प्रसिद्ध कविवर ‘सेनापति’ की इन पंक्तियों के साथ सांझा करना चाहती हूँ-‘चहकि चकोर उठे,करि-करि जोर उठे।टेर उठी सारिका,विनोद उपजावने।चटकि गुलाब उठे,लटकि सरोज पूंज।खटकि भराल रितुराज सुनि आवे॥’भारत एक महान देश है। इसकी प्राकृतिक शोभा निराली है। पूरे संसार में छः ऋतुओं की सुंदरता संसार के किसी … Read more