ऐसी धरती,ऐसा जहान
वाणी वर्मा कर्णमोरंग(बिराट नगर)****************************** प्रेम की धरती,प्रेम का आसमानन हो अकेलापन,न ही दुखित मनजहां भी जाओ,बस मिले अपनापनप्रेम की भाषा हो,मानवता ही धर्म होक्यों नही हम बनाते,ऐसी धरती ऐसा जहान। न अमीर न गरीब,न ऊँच न कोई नीचन कोई जात न कोई पात,चारों ओर बस एक ही कातमानव की हो बस मानव ही पहचान,कर्म प्रधान … Read more