शुभ्र मातु भारती…
डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’ पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड) ****************************************************************************** हाथ में ध्वजा लिये,शुभ्र मातु भारती। भोर की नव रश्मियाँ,आरती उतारती॥ ये मंद सी बयार है,विहग गान गा रहे। हरित विटप और लता,रूप हैं सजा रहे॥ सुरसुरी पग धो रही, नग राजे भाल में। कर त्रिशूल है धरा,अब्ज लाल माल में॥ मन्दिरों की घंटियां,ऊँ नित उचारती। भोर की नव रश्मियाँ,आरती … Read more