रिश्तों का कारवाँ

विद्या होवालनवी मुंबई(महाराष्ट्र )****************************** विश्व सौहार्द दिवस स्पर्धा विशेष…. रिश्तों का कारवाँ उम्रभर ऐसीराह चलता रहा,हर मोड़ परबंधनों में उलझता ही रहा।जीवन की हर डगर में अपनों सेअपनापन पाए बिना…

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दोस्ताना

विद्या होवालनवी मुंबई(महाराष्ट्र )****************************** विश्व पुस्तक दिवस स्पर्धा विशेष…… ये दोस्ताना हमारा कुछ अलग अंदाज से भरा है,हमसे न कभी रूठान कभी तेरा-मेरा साथ छूटा है।इस अंदाज ने आज भी…

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हमारी दुनिया अलग

विद्या होवालनवी मुंबई(महाराष्ट्र )****************************** हमारी दुनिया की अलग कहानी है,औरों ने इसे न जानी है। इसमें मेरी ही खूब चली,हरपल उसकी बातों में ढली। प्यार वाली हवा चली,यादों के एहसासों…

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नारी का समर्पण

विद्या होवालनवी मुंबई(महाराष्ट्र )****************************** महिला दिवस स्पर्धा विशेष…… नारी तो बस नारी है,उसके बिना लगतीअधूरी दुनिया सारी है,सबसे न्यारी और प्यारी है। विश्व निर्माता कहलाती है,समर्पण ही उसका जीवन हैपराया…

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ऐसा कहर आया…

विद्या होवालनवी मुंबई(महाराष्ट्र )****************************** 'कोरोना' का ऐसा कहर आया,पूरे विश्व को खामोश करायाकर हमें अपनों से पराया,घर में ही कैद कराया। ‘जहाँ हो वहीं’ थमना,साथ में नहीं-अकेले रहनाहर वक्त मजबूर…

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…लेकिन जीत रखूँगा

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’ पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड) ****************************************************************************** मैं मधुरस को पीने वाला, रसना में नित गीत रखूँगा। चाहे कोई अनल मुझे दे, उर में अपने शीत रखूँगा॥ मैं सागर हूँ नहीं दिखाता,…

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जीवन

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’ पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड) ****************************************************************************** जोड़े से फिर ना जुड़े , मत तोड़ो विश्वास। टूटे तो यह आप भी, तोड़े जीवन आस॥ मधुर बोल हँसते सुमन, कटु है सूखी काठ।…

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शुभ्र मातु भारती…

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’ पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड) ****************************************************************************** हाथ में ध्वजा लिये,शुभ्र मातु भारती। भोर की नव रश्मियाँ,आरती उतारती॥ ये मंद सी बयार है,विहग गान गा रहे। हरित विटप और लता,रूप हैं सजा…

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सताने आ गए

विद्या पटेल ‘सौम्य’ इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश) *********************************************************************** मुफ़लिसी में फिर हमें सताने आ गए। तसव्वुर-ए-चिरागा को बुझाने आ गए। जश्न में हिमाक़त क्या दिखाई हमने, इज़्तिराब होकर नींद में डराने…

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