बादलों का घर
कृणाल प्रियंकर अहमदाबाद(गुजरात) ****************************************************** फिर आज़ जा पहुँचा बादलों के घर में, मौसम बारिश का था मंज़र भी सुहाना थाl वो भी आ गये थे करने स्वागत मेरा, थोड़े काले,थोड़े भूरे थोड़े उजले दूध जैसे, एक अलग ही दुनिया है बादलों कीl मदमस्त रहते हैं दौड़ते हैं, कभी रुकते कर कोलाहल, फिर हैं झुकते इक-दूजे … Read more