मुसीबत में घर-परिवार
राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’धनबाद (झारखण्ड) ****************************************** टूटी हुई कठिन राह परचलने को हुआ मजबूर,ना कोई सहायक खड़ाव्यथित हृदय है भरपूर। राह कठिन है सबकी परतिनके का सहारा जरूर,मेरा जरा तुम हाल पूछ लोहूँ अभी बड़ा ही मजबूर। चलना था जिस राह परखड़ा ‘कोरोना’ बन दीवार,छीन लिया यह रोजगारमुसीबत में घर-परिवार। चाहता था चलना पाँवों परचलाना बच्चों … Read more