जल भर-भर ले आए मेघा

मालती मिश्रा ‘मयंती’ दिल्ली ******************************************************************** जल भर भर ले आए मेघा, घटा घिरी घनघोर। दादुर मोर पपीहा बोले, झींगुर करता शोरll रिमझिम-रिमझिम बरसे सावन, लगे नाचने मोर। टर-टर करते दादुर निकले, धूम मची चहुँओरll प्यास बुझी प्यासी धरती की, मनहि रही हरषाय। तप्त हृदय की तृषा मिटी अब, शीत हुआ हिय जायll तड़-तड़ करती बूँदें … Read more