कदम बढ़ाना ही होगा
अनिता मंदिलवार ‘सपना’ अंबिकापुर(छत्तीसगढ़) ************************************************** चाहती हूँ,बहुत दूरचली जाऊँ,आवाज देनेपर भी,लौट न पाऊँ।अब इत्मीनान है,अकेला कोई नहींसब हैं साथ,अब आराम कीदरकार है।चिरनिद्रा,बुलाती है हमेंकदम,बढ़ाना ही होगावादे निभाये कम,टूटते ज्यादा हैं।जीवन,बना न अपनारह गया,कोई सपनादिल और दिमाग,चल पड़े हैंअलग राहों पर।इस अन्तर्द्वन्द्व का,अंजाम क्या होगाईश्वर ही जाने,सब खेल उसी का।हम एक पात्र मात्र,निभाते किरदारअपना,मंच पर यहाँ।जिसकी … Read more