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प्रकृति और हम

अनिता मंदिलवार  ‘सपना’
अंबिकापुर(छत्तीसगढ़)
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प्रकृति क्या है ? देखा जाए तो प्रकृति हमारे आसपास ही है। हमारे इर्द-गिर्द हरे पेड़-पौधे,सरसराती हवाएँ,पौधों पर जीवन व्यतीत कर रहे जीव-जन्तु, कलकल बहती नदियाँ, ऊँचे पहाड़ यही तो प्रकृति है,जिसके करीब हम रहना चाहते हैं,जो हमें पसंद है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण ये है कि हम पिकनिक मनाने जाते हैं, क्यों? और पिकनिक के नाम से सबका मन खुश हो जाता है,क्यों ? इसका कारण यही है कि जिससे हमारी उत्पति हुई है,हमारा वही जीन हमें खुश होने की इजाजत देता है कि वही हमारा पुराना घर है, जहाँ जाने की बात तुम कर रहे हो। हमारी प्रकृति जितनी हरी-भरी होगी,हम उतना ही खुशहाल रह सकेंगे। हमें शुद्ध प्राण वायु हरे पेड़-पौधों से मिलेगी,जो हमारे जीवन का आधार है। हम खुश रहेंगे तो सभी काम अच्छे से निर्बाध गति से होते रहेंगे।
प्रकृति में बसे हुए पशु-पक्षियों को भी जीने का अधिकार है। यहाँ तक कि संसार में जितने भी जीव है,सभी को जीने का हक है। महज शौक के लिए उनसे खिलवाड़ कहीं से भी सही नहीं कहा जा सकता है। ‘जियो और जीने दो’ का सिद्धांत यही संदेश देता है। नियम तो यही है कि जो हम प्रकृति को देंगे हमें वापस मिलेगा। कहावत तो सभी ने सुनी होगी-जो बोओगे वही काटोगे।
यदि हमें प्रकृति को बचाना है,तो हमें इससे जुड़ना होगा। जब हम जुड़ाव महसूस करेंगे ,तभी हम इसको संरक्षित करने के बारे में सोच पाएंगे तो देर किस बात की है,साथियों, आइए प्रकृति संरक्षण से जुड़ें और पहल करें । यही पहल एक अभियान का रूप लेगी और ये एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा प्रकृति और वन्य जीव संरक्षण के लिए।

परिचय : अनिता मंदिलवार  ‘सपना’ की जन्मतिथि-४ फरवरी एवं जन्मस्थान-नालन्दा में बिहार शरीफ है। आपकी  शिक्षा एम.एस-सी.(वनस्पति शास्त्र),एम.ए.(हिन्दी-अंग्रेजी साहित्य),बी.एड. सहित पीजीडीसीए है। श्रीमती मंदिलवार का कार्यक्षेत्र-व्याख्याता(हाईस्कूल-अंबिकापुर,छग)है। आपका निवास छत्तीसगढ़ राज्य के सरगुजा जिला के अंबिकापुर शहर स्थित जरहागढ़ में है। सामाजिक क्षेत्र में आप शिक्षा क्षेत्र में विशेष योगदान देती हैं। पहले एक साहित्यिक संस्था की अध्यक्ष रही हैं। लेखन की बात की जाए तो गद्य और पद्य में कविता,ग़ज़ल,नाटक,रुपक, कहानी सहित हाइकू आदि लिखती हैं। सम्मान के रूप में आपको लेखन के लिए काव्य अमृत,हिन्दी सागर सम्मान मिले हैं। कई समाचार पत्रों में कविताओं-लेख का प्रकाशन होता रहा है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित हिन्दी निबंध प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार एवं ‘मदर्स-डे’ स्पर्धा में द्वितीय पुरस्कार सहित  प्रश्न मंच स्पर्धा में प्रथम और दूरदर्शन से प्रसारित ‘भवदीय’ कार्यक्रम में सर्वश्रेष्ठ पत्र-लेखन का पुरस्कार भी हासिल किया है। लेखन के क्षेत्र में आप कई साहित्यिक संस्थाओं से भी संबद्ध हैं। साथ ही दूरदर्शन रायपुर से कविता पाठ, आकाशवाणी अंबिकापुर से कविता, कहानी, नाटक और आपके रुपक का भी प्रसारण हुआ है। आपकी दृष्टि लेखन का उद्देश्य-साहित्य सेवा,साहित्य के माध्यम से जागरुकता लाना और अपनी भावनाओं से समाज में हो रही कुप्रथाओं के विरुद्ध लेखन,अपने मन के भावों को पन्ने पर उतारना और समाज में जागरूकता लाने के लिए लेखन करना हैl श्रीमती मंदिलवार का साहित्यिक उपनाम-`सपना`हैl वर्तमान में आप एक साहित्यिक संस्था की जिला सरगुजा (छग) में कार्यकारिणी सदस्य तथा महिला मंच (अंबिकापुर) की सदस्य भी हैं। प्रकाशन में आपके खाते में ६ साझा संकलन-हाइकु की सुगंध,काव्य अमृत एवं ग़ज़ल संग्रह-गुंजन आदि हैंl इसी प्रकार प्रतिष्ठित दैनिक अखबारों और पत्रिकाओं में भी आपकी रचित कविताओं-लेखों का प्रकाशन हुआ है। सम्मान में आपको काव्य अमृत सम्मान के साथ ही हिन्दी सागर सम्मान,दोहा शतकवीर सम्मान,हिन्दी साहित्यसेवी सम्मान,साहित्य के दमकते दीप साहित्यकार सम्मान-२०१७ और दिसम्बर २०१७ में हुए साहित्यिक सम्मेलन में राज्य और राज्य के बाहर साहित्य में योगदान के लिए सम्मानित  किया जाना  प्रमुख हैl उपलब्धि यह है कि,जन परिषद(भोपाल) द्वारा प्रकाशित ग़न्थ ‘लीडिंग लेडीज ऑफ मध्यप्रदेश एण्ड छत्तीसगढ़` एवं हू ‘ज’ हू में आपके जीवन परिचय का प्रकाशन हुआ है।

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