मानकदास मानिकपुरी ‘ मानक छत्तीसगढ़िया’ महासमुंद(छत्तीसगढ़) *********************************************************************** सच का वृक्ष, सूखने लगा आज- संभल जाओl अपनों बीच, कितने धोखेबाज- ध्यान लगाओl जरूरत है, झूठ का पूर्णनाश- आगे तो आओl सच का बीज, रख अपने हाथ- उगाते जाओl