मातृभूमि वन्दना

मनीषा मेवाड़ा ‘मनीषा मानस’ इन्दौर(मध्यप्रदेश)  **************************************************************** तेरा क्या गुणगान करु ‘माँ’, मैं शब्दों की माला से। तू फूलों का उपवन है, मै उपवन की नन्हीं कली। तू सागर की लहरों जैसी, मैं सिमटी एक धारा हूँ। तेरे चरणों में अमृत है, तू अमरता की मूरत है। तेरा क्या गुणगान करु ‘माँ’, मैं शब्दों की माला … Read more

मैं पतझड़ का फूल

मनीषा मेवाड़ा ‘मनीषा मानस’ इन्दौर(मध्यप्रदेश)  **************************************************************** नहीं किसी बाग की शोभा, नहीं कोई माली मेरा। निर्जन वन में पड़ा अकेला, ‘मैं पतझड़ का फूल’ विरह अग्नि पल-पल जलता, फिर भी रोज खिला हूँ करता। धू-धूकर जलती है धरती, हवा भी वही रूप धर लेती। सुनकर सूखे पत्तों के सुर-साज, मिटाता हूँ इस मन के त्रास। … Read more

बेटी है शान

मनीषा मेवाड़ा ‘मनीषा मानस’ इन्दौर(मध्यप्रदेश)  **************************************************************** राग है,साज है, हमको तुम पर नाज हैl गीत हो,ग़ज़ल हो, तुम ही जीवन संगीत होl तेरी खिल-खिलाती हँसी, देती है रोज नया जीवनl बनी रहे सदा ये यूँ ही, होता रहे रोशन घर-आँगनl आशा का एक दीप जलाया, छू ले तू ये नभ-गगनl सब बाधाओं को पार कर, … Read more