पुरानी किताब की खुशबू

गोपाल मोहन मिश्रदरभंगा (बिहार)***************************************** आज किताब के पन्नेउलट कर देख रहा हूँ,जो पीले पड़ गए हैं,कहीं-कहीं परनीली स्याही सेफैल गए हैं।सुंदर अक्षरजो कभी हुआ करते थे मोती,किताब के शुरू में हीजो लिखा हुआ था मेरा नामअब हल्का पड़ चुका है।कोने से जो कुतरी हैचूहों ने किताब,उसकी कतरनबिखरी हुई है फ़र्श पर,सम्भाल कर उठानी पड़ रही … Read more

नमन गुरु

डॉ. आशा मिश्रा ‘आस’मुंबई (महाराष्ट्र)******************************************* शिक्षक:मेरी ज़िंदगी के रंग’ स्पर्धा विशेष….. ज्ञान प्रकाश,शिक्षक बिखेरता-रोशनी बन। तमाम उम्र,ज़िंदगी ने सिखाए-तज़ुर्बे कई। कोर्स बदले,शिक्षक न बदले-कक्षाएँ वहीं। सफ़ेद धब्बे,चित्र उकेर जाए-मन को भाए। रख हौंसला,शिष्यों को तराशते-आकर गढ़ें। ऑनलाइन,चाहे ऑफ़लाइन-कर्तव्य पथ। चाक-डस्टर,हाथ में रजिस्टर-भाग्य विधाता। नमन गुरु,चुनौतियाँ अनंत-ज्ञान से अंत। पुस्तक-पेन,दुनिया बदल दे-शिक्षक संग। तिमिर पथ,रोशनी हैं … Read more

भारत की शान

डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’इन्दौर(मध्यप्रदेश)************************************ मुक्त आज हिन्द है,सर्व बन्ध टूटते।सुनो! इस प्रभात में,मुक्त किरण फूटते॥मुक्त आज हिन्द… भगतसिंह का बलिदान है,बिस्मिल का गान है।अभिनदंन के शौर्य पर,इस देश को गुमान है॥मुक्त आज हिन्द… चारों तरफ यह शोर है,तकनीकी का दौर है।दुनिया में आज मेरेभारत की शान है॥मुक्त आज हिन्द… मीरा,सिंधु-सी वीरांगना है,बजरंग जैसे वीर है।नीरज … Read more

देश की विशेषता

डॉ. आशा मिश्रा ‘आस’मुंबई (महाराष्ट्र)******************************************* ‘मैं और मेरा देश’ स्पर्धा विशेष…….. छः ऋतुएँ आएँ जहाँ बारी-बारी,सभ्यता व संस्कृति है सबसे भारीभिन्नता लिए हुए अनेकता में एकता,यही तो है मेरे देश की विशेषता…। भिन्न-भिन्न धर्म और जाति के लोग,खान-पान,बोलियाँ सबसे अनमोलएक सूत्र में बँधे माला-सी सुंदरता,यही तो है मेरे देश की विशेषता…। रेल का जाल यहाँ … Read more

ख़ुद को समझाते हैं

डॉ. आशा मिश्रा ‘आस’मुंबई (महाराष्ट्र)******************************************* बचपन के वो सुनहरे दिन आज भी हमें रूलाते हैं।अब न जाने क्यों लोग हर क़दम पर आज़माते हैं। अदब थी हममें,जो हर किसी की बात सुन लेते थे,दोस्त इसे कमज़ोरी मान हम पर एहसान जताते हैं। जो भी हँस के मिला उसे अपना समझ प्यार किया,बेगाने ही अक्सर रिश्तों … Read more

गुरु करते ज्ञान प्रदीप

शिवेन्द्र मिश्र ‘शिव’लखीमपुर खीरी(उप्र)***************************************** गुरु पूर्णिमा विशेष…… जीवन को सुरभित करें,उर में भरे प्रमोद।प्रलय और निर्माण द्वय,बसते गुरु की गोद॥ ज्यों माटी को गूँथ कर,देता रुप कुम्हार।वैसे ही निज शिष्य को,देता गुरु आकार॥ पथ अवलोकित कर सके,जले स्वयं बन दीप।हृदय तिमिर गुरु मेटते,करते ज्ञान प्रदीप॥ शिक्षक ईश्वर के सदृश,करें सदा उपकार।उसने ही हमको दिया,जीवन का … Read more

‘जीवनदात्री’ कहलाती है सिर्फ़ स्त्री…

डॉ. आशा मिश्रा ‘आस’मुंबई (महाराष्ट्र)******************************************* स्त्री तुम महान हो,सब गुणों की खान होमाँ की ममता हो,बेटी की निश्छलता होपत्नी का प्यार हो,बहन का दुलार होमुसीबत में बलवान हो,होंठों की मुस्कान होईश्वर का वरदान हो,स्त्री तुम महान हो। जीवन का आधार हो,देती नया मुक़ाम होघर का अभिमान हो,सुख की ठंडी छाँव होअन्नपूर्णा का रूप हो,दुर्गा-काली का … Read more

बढ़ता प्रदूषण,बढ़ता संकट

रोहित मिश्रप्रयागराज(उत्तरप्रदेश)*********************************** आज के आधुनिक युग में जैसे-जैसे लोगों की जरुरत बढ़ती जा रही है,वैसे-वैसे ही पर्यावरण पर लोगों की आकांक्षाओं का भार भी बढ़ता जा रहा है। नित नई सुख-सुविधाओं की चाहत में लोग उत्पादन साम्रग्री के दुष्प्रभाव से अनजान होकर उभोक्ता की भूमिका में पर्यावरण को संकट ग्रस्त कर रहे हैं।आज ऐशो-आराम के … Read more

बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद…!

रोहित मिश्रप्रयागराज(उत्तरप्रदेश)*********************************** बात लगभग २०१० की है,जब मैंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र विभाग में परास्नातक करने के लिए प्रवेश लिया। उस समय मैं बकायदा ढीली शर्ट और सामान्य पेंट पहनता था। ढीली-ढाली शर्ट पैंट पहनकर बकायदा गले में सफेद अंगौछा डालकर महाविद्यालय जाया करता था। मैंने शहर के ही इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संबंधित महावीर प्रसाद … Read more

ओ प्यारी सखी

डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’इन्दौर(मध्यप्रदेश)************************************ विश्व सौहार्द दिवस स्पर्धा विशेष…. चल सखी,कुछ अधूरी बातें करते हैं,हृदय के इस खालीपन कोयादों से लबरेज करते हैं।चल कुछ अधूरी बाते करते हैं… इतने सालों की खमोशी कोकुछ पलों में भरते हैं,चल अपने बचपन को जीते हैंफेंकी हुई नावों को फिर से,समेट करबरसात के पानी पर फिर,चलाते हैं।चल कुछ अधूरी … Read more