पुरानी किताब की खुशबू
गोपाल मोहन मिश्रदरभंगा (बिहार)***************************************** आज किताब के पन्नेउलट कर देख रहा हूँ,जो पीले पड़ गए हैं,कहीं-कहीं परनीली स्याही सेफैल गए हैं।सुंदर अक्षरजो कभी हुआ करते थे मोती,किताब के शुरू में हीजो लिखा हुआ था मेरा नामअब हल्का पड़ चुका है।कोने से जो कुतरी हैचूहों ने किताब,उसकी कतरनबिखरी हुई है फ़र्श पर,सम्भाल कर उठानी पड़ रही … Read more