मैं नारी

डॉ.नीलम कौर उदयपुर (राजस्थान) *************************************************** भोर की प्रथम किरण का कर स्पर्श, चलती रहती हूँ मैं। किरणों के बढ़ते कद तक, ढलते-ढलते किरण-पाख सिमट जाती तब चलती हूँ मैं। चंद्रकिरण के संग, मध्य रात्रि तक आते-आते जब चाँद भी लगता सिमटने, समेट कर अपने पाँव पेट में अपने ही, मैं भी थम जाती हूँ। कुछ … Read more