आत्मनिर्भर भारत ‘बिना हथियार का युद्ध’

डॉ. नीलम महेंद्रग्वालियर (मध्यप्रदेश)************************************* आजकल देश में सोशल मीडिया के विभिन्न मंचों पर चीन को बहिष्कृत करने की मुहिम चल रही है। इससे पहले 'कोविड-१९' के परिणामस्वरूप जब देश की…

0 Comments

कृष्ण -कन्हैया

डॉ.नीलम कौर उदयपुर (राजस्थान) *************************************************** कृष्ण जन्माष्टमी स्पर्धा विशेष………. कृष्णा तेरे रुप अनेक, कैसे-कैसे रचाये खेला कभी तू नटखट माँ को बेटो, कभी तू बन जाये छलियाl वासुदेव के जनम…

0 Comments

चाहत

डॉ.नीलम कौर उदयपुर (राजस्थान) *************************************************** हम तो वैसे ही हैं जैसे तब थे, जब धरती पर वो सेब नहीं हम तुम ही थे। हम तो तब भी वैसे ही थे…

0 Comments

सागर की गहराई,आँखों के प्यालों में

डॉ.नीलम कौर उदयपुर (राजस्थान) *************************************************** महफ़िल मस्ती मय का दरिया है, सागर की गहराई,आँखों के प्यालों में। साकी,शबाब,शराब,शराबी सब डूबे हैं, सावन के कारे कजरारे घने बालों में। मनमोहन की…

0 Comments

कभी मेला करता रहा होगा गुफ्तगू…

डॉ.नीलम कौर उदयपुर (राजस्थान) *************************************************** रातों को सपनों में मेरे, गाँव कहीं इक आता है... जहाँ 'कभी यादों का मेला रहा होगा।' सूना-सूना-सा घट का पनघट, सूनी मन की चारदीवारी…

0 Comments

जिंदगी

डॉ.नीलम कौर उदयपुर (राजस्थान) *************************************************** बहुत उदास, बहुत बेकरार-सी बेबस-सी है जिंदगी, कभी खुशी की सांझ ना आई, कभी मिली ना हँस के जिंदगी। बस रात का स्याह सफर, दिन…

0 Comments

कब तक…यूँ ही जीना होगा!

डॉ.नीलम कौर उदयपुर (राजस्थान) *************************************************** अंतरराष्ट्रीय शरणार्थी दिवस विशेष……….. रब्बा तेरी दुनिया में, सब तेरी शरणायी हैं। तेरी छत्रछाया में फिर क्यों, हमने ही सजा पाई है। सब ही तो…

0 Comments

कुछ यूँ ही…

डॉ.नीलम कौर उदयपुर (राजस्थान) *************************************************** कुछ कहने-सुनने के लिए नहीं, कभी यूँ ही मिलने-मिलाने को आ। जानता है तू मुझे इतना ही काफी है, पहचान अपनी कुछ बढा़ने को आ।…

0 Comments

क्यूँ मैं छंद के बंधन बाँधूं…

डॉ.नीलम कौर उदयपुर (राजस्थान) *************************************************** क्यूँ मैं छंद के बंधन बाँधूं, क्यूँ पहनूं बंद अलंकार के कुदरत ने मुझको दे डाले, हसीन प्यार के ख्वाब सुहाने। क्यूँ मैं बाँधूं... बिजली…

0 Comments

माँ

डॉ.नीलम कौर उदयपुर (राजस्थान) *************************************************** मातृ दिवस स्पर्धा विशेष………… मंदिर में माँ का पूजन, घर में माँ मजबूरी है। नौ मास की पीड़ा सहती, फिर भी बेटों की हठी है।…

0 Comments